Thursday, December 30, 2010

जाते हुए वर्ष की अंतिम पोस्ट देश के नौनिहालों के नाम

जाते हुए वर्ष २०१० को , एक मधुर स्मृति के साथ विदाई देता यह लेख , जो देश के बच्चों को समर्पित है

कितना भी व्यस्त रहे लेकिन बच्चों का स्मरण करना मत भूलिएये ही तो देश का भविष्य हैं और इनका बचपन ही हमारे हाथ में है जो हम संवार सकते हैं

इस वर्ष का अंतिम लेख कुछ मधुर स्मृतियों के साथ लिखना चाहती थीबहुत सोचने के बाद भी सिर्फ कलमाड़ी, थुरूर, ललित मोदी, राजा, सोनिया, दिग्विजय और सिटी बैंक के शिवराज पूरी ही जेहन में घुमते रहे

लेकिन फिर एक प्यारी सी बच्ची - " युगरत्ना " का स्मरण हो आयासोचा उसके बारे में ही जिक्र करूँ आज

१३ वर्ष की बच्ची - युगरत्ना श्रीवास्तव [ लखनऊ , उत्तर प्रदेश ] , ने United Nations General Assembly को global climate change पर , [ 13th oct 2010] अपना भाषण देकर पूरे देश को गौर्वान्तित किया है

इस पर्यावरण सम्मलेन में तकरीबन १०० देशों के प्रमुख शामिल थे , जिसमें बराक ओबामा भी शामिल थेयुगरत्ना को पूरे एशिया से चुना गया था , तकरीबन तीन अरब बच्चों को represent करने के लिएउसे १०५ देशों के delegates के मध्य प्रतिस्पर्धा प्रक्रिया द्वारा चयनित किया गया था

इस छोटी सी उम्र में युगरत्ना ने अनेकों देशों के प्रमुख से मुलाक़ात की तथा अपने ओजस्वी वक्तव्यों से देश को गौरवान्वित कियादेश विदेश के अनेकों पुरस्कार से सम्मानित युगरत्ना वाकई , भारत देश का एक अनमोल रत्न ही है

आने वाले नए वर्ष में सभी बच्चों और विद्यार्थियों के लिए अनेक शुभ एवं मंगलकामनायेंखूब पढ़ें-लिखें और माँ बाप के साथ अपने देश को भी गौरवान्वित करें

आप सभी के लिए नया वर्ष मंगलमय हो
Happy 2011 to one and all.

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Wednesday, December 29, 2010

देश को ख़तरा है इटालियन गांधियों से -राहुल गांधी , सोनिया गांधी.


घर का भेदी लंका ढाए

जिस देश में राहुल गांधी जैसे विभीषण होंगे [wikiLeaks ], उस देश का क्या ख़ाक विकास होगाजिन्होंने खुद को फिरंगियों की आँखों में चढाने की खातिर अपनी भारत माता से गद्दारी गंवारा की है

जिस देश को महात्मा गाँधी , नेताजी सुभाष चन्द्र बोस , सरदार भगत सिंह और अनेक शहीदों ने अपने खून पसीने से आज़ाद कराया , उसे बेचने के लिए तैयार है , इटालियन गांधी-द्वय

राहुल गांधी आखिर हैं क्या ? देश का इतिहास भूगोल भी नहीं मालूम और देश का प्रधानमन्त्री बनने का सपना देखते हैंहमारे देश की अंधी , गुलाम और चापलूस जनता क्या वोट दे देगी ऐसे गद्दार कलयुगी विभीषणों को ? फिर घोटालों पर इतना अफ़सोस क्यूँ ? जैसा बीज बोयेंगे , वैसी ही तो फसल काटेंगे

हिन्दुओं को आतंकवादी कहकर इन्होने देश के मुह पर चांटा मारा हैअगर भारतीयों में वाकई गैरत है , तो मजबूर कर देना चाहिए इन इटालियन गांधियों को इसाई या फिर इस्लाम धर्म कबूल करने के लिएक्यूंकि हिन्दू होकर , अन्य हिन्दुओं का अपमान करना एक गुनाह है

शक्ति और पवित्रता के प्रतीक जिस भगवा को पहनकर स्वामी विवेकानंद ने अपने ओजमयी भाषण से पूरे हिंदुस्तान को गौरवान्वित किया थाउसी भगवा को ये इटालियन गांधी , भगवा आतंकवाद का नाम दे रहे हैं?

क्या हक है इस विदेशी गांधियों को हमारे देश पर हुकूमत करने का । जो देश की इज्ज़त नहीं करताजो देशवासियों की आस्था का सम्मान नहीं करता , उसे देश बाहर कर देना चाहिए

गुलामी , चाटुकारिता तथा खुदगर्जी में जकड़ी मानसिकता के चलते भारतवासी इन मुद्दों पर कुछ कहने से कतराते हैंतटस्थ रहते हैंनिज विकास के बारे में सोचते हैं , देश के विकास से सरोकार नहींतटस्थ रहने वालों को समय माफ़ नहीं करेगा

मुझे तटस्थ रहना नहीं आता इसलिए स्पष्ट लिखती हूँ -- देश को ख़तरा हिन्दुओं से नहीं बल्कि इन विदेशी गांधियों से हैइनके नाम के साथ जुड़कर ' गांधी ' शब्द भी शर्मसार हो जाता है

वन्दे मातरम् !

Monday, December 27, 2010

एक मिसाल - Alfred Bernhard Nobel - A man behind the prizes !

अक्टूबर १८३३ को स्वीडन में जन्मे Alfred Nobel ने इतिहास कायम कर दियाNobel पुरस्कार के जन्मदाता का १८९६ में ६३ वर्ष की आयु में देहावसान हो गया

इन्होने अपनी मृत्यु से पूर्व एक नाटक लिखा था - "nimesis" , जो इनकी मृत्यु के दौरान प्रकाशित हुआ लेकिन मृत्यु के तुरंत बाद अति विवाविदित होने के कारण इसकी सभी प्रतियां नष्ट कर दी गयींकारण था उस नाटक में हिंसा, प्रतिशोध , सेक्स , वासना तथा धार्मिक कट्टरता का उल्लेख

रसायन शास्त्र [chemistry ] में विशेष रूचि रखने वाले Alfred Nobel ने विस्फोटकों [ explosives] पर गहन शोध किया तथा nitroglycerine जैसे विस्फोटकों को कैसे सुरक्षित तरीके से उत्पादन करना है तथा इस्तेमाल करना है , इस पर काफी विस्तार से कार्य किया Alfred Nobel के पास तकरीबन ३५५ रसायनों का पेटेंट था जिसमें से प्रमुख हैं -
  • Dynamite
  • Ballistite
  • Gelignite
इन विस्फोटकों का इस्तेमाल mining में, शिलाखंडों को तोड़ने , तथा रॉकेट propellant [ ballistite ] की तरह होता है१८८८ में Dynamite के कारण हुए एक हादसे में इनके छोटे भाई समेत अनेक लोगों की मृत्यु हो गयी , जिसके कारण अल्फ्रेड की बहुत निंदा और भर्त्सना हुईइस प्रकरण से दुखी होकर इन्होने अपनी शोध और गहन कर दी तथा सुरक्षित तरीकों को ढूंढा Dynamite के अविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल ने २७ नवम्बर १८९५ में अपनी तीसरी तथा अंतिम वसीयत में अपनी सारी संपत्ति दान कर दी तथा नोबेल पुरस्कार वितरण की शुरुवात की

नोबेल
पुरस्कार निम्न पाच क्षेत्रों में दिए जाते हैं

- भौतिकी [physics]
-रसायन शास्त्र [ Chemistry]
- चिकित्सा [ Medicine/Physiology]
-साहित्य [ Literature]
-शान्ति [Peace]

इस
पुरस्कार में , गोल्ड मेडल , डिप्लोमा तथा पुरस्कार-धनराशी मिलती है जो उस वर्ष Nobel's foundation की होने वाली आय पर निर्भर करती हैयह एक से दो अरब US डॉलर के आस-पास होती है Nobel prize को तीन व्यक्ति से ज्यादा के साथ नहीं साझा किया जा सकता

वर्ष
२०१० के नोबेल पुरस्कार विजेता --

-भौतिकी- Andre Geim और Konstantin Novoselov [ Two dimensional material graphene के लिए ]

-रसायन शास्त्र-Richard F. Heck, Ei-ichi Negishi, Akira सुजुकी ["for palladium-catalyzed cross couplings in organic synthesis"।]

-चिकित्सा-Robert G. yedavards [ ...for the development of in vitro fertilization".]

-साहित्य-Mario Vargas llosaa ["for his cartography of structures of power and his trenchant images of the individual's resistance, revolt, and defeat"।]

-शान्ति -Liu Xiaobo [ "for his long and non-violent struggle for fundamental human rights in China"। ]

काश हमारे देश से भी किसी प्रतिभाशाली व्यक्तित्व को नोबेल पुरस्कार मिलताया अमर्त्यसेन और रबीन्द्रनाथ टैगोर जैसी हस्तियाँ अब नहीं जन्म लेतीं ?

आभार