Thursday, January 6, 2011

ब्लॉग पर भटकते विकृत मानसिकता वाले भाई -- कृपया सावधान रहिये इनसे.


समाज में एक प्रतिशत पुरुष ऐसे भी हैं जो सोचते हैं की किसी स्त्री को बहन कहकर certificate पा लेंगे शराफत का या फिर वो अन्य पुरुषों से बेहतर बन जायेंगे। उन्हें लगता है की उनकी विकृत मानसिकता छुप जायेगी 'बहन' रुपी कवच के नीचे। और वो 'भाई' नाम का लाईसेन्स इस्तेमाल करते फिरेंगे खुले-आम।
लेकिन नहीं जनाब , हर ऐरा गैरा , भाई बनने का हक़दार नहीं हो सकताआभासी दुनिया हो या फिर वास्तविक दुनिया , लोग ऐसे रिश्ते सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए बनाते हैंजब किसी crisis में इनकी जरूरत होती होती है तो ये लोग शराफत का जामा पहने अपने दुःख दर्द निपटाने में व्यस्त होते हैंया फिर तमाशबीन बने मदारी का खेल देखते हैंया फिर मेल लिखकर उपदेश देंगे की ऐसे लोगों से दूर रहोआरे भाई कोई पीछे लगा है इनके , जो दूर रहेइसलिए ये , भाई कम , उपदेशक ज्यादा होते हैं

दुसरे प्रकार के भाई , अपनी बहनों के रूप पर ही मोहित होते रहते हैं और उन्हें मेनका की उपाधि से विभूषित करते हैंलेकिन दुखद बात तो ये है की 'अनवर जमाल ' टाइप भाई को जब मेनका और गार्गी जैसी बहनें घास नहीं डालतीं तो ये विचलित होकर , अपनी बहनों के खिलाफ अपने ब्लॉग पर पोस्ट लिखकर अमरेन्द्र त्रिपाठी जैसे सस्ते भड़ासियों को आमंत्रित करते हैं अपनी बहनों को अपमानित करने के लिएऔर ये चवन्नी में बिके हुए आलोचक अपनी लेखनी का भरपूर प्रयोग करते हैं एक स्त्री को जलील करने में

कुछ महान हस्तियाँ मेरे ब्लॉग पर आकर आग में घी डालती हैं और उनके उकसाने पर जब दोषी को खरी खोटी सुना दी तो ये महानुभाव मेरी भाषा पर आपत्ति दर्ज कराके खुद शारीफ होने का दम भरने लगेधन्य है ऐसे दोयम चरित्र वाले उपदेशक भी सिर्फ राजनेताओं और गद्दारों और घोटालों के खिलाफ कलम चलाई जाए ? ब्लॉग पर भटकते भड़ासियों को खुले सांड की तरह छोड़ दिया जाए ? नहीं भाई , आप लोग रिश्तेदारी निभाइए , टिप्पणीकार जुटाइये और सोशल नेटवर्किंग कीजियेमुझे फर्जी भाई और भाड़े के भड़ासियों से बहुत भय लगता है

अब अनवर जमाल के प्रश्न का उत्तर --

प्रश्न एक - आपको और लोगों ने भी तो बहन कहा लेकिन आपने आपत्ति क्यूँ नहीं जताई
उत्तर - जनाब अनवर जमाल , बहुतेरे फर्जी भाई मिले यहाँ ब्लॉगजगत में , लेकिन पतझड़ के मौसम में गिरते पत्तों की तरह उनका नकली नकाब स्वतः ही गिर गया और उनका भ्रातृ - प्रेम सूखे पत्तों की तरह सूखकर बिखर गयाहाँ एक अंतर जरूर है आपमें और अन्य भाइयों में की उन्होंने मुझे जलील करने के लिए लेख लिखकर भाड़े के टट्टू नहीं बुलवाए मुझे अपमानित करने के लिएशायद उनमें आपसे ज्यादा शराफत है

प्रश्न दो - आपने अरविन्द मिश्रा के खिलाफ विचार क्यूँ नहीं रखे मेरी पोस्ट पर ?
उत्तर- मैं भाड़े का टट्टू नहीं हूँ जो अपनी भड़ास निकालूंगी किसी की पोस्ट परइस काम के लिए अमरेन्द्र त्रिपाठी ही बेहतर हैरही बात अरविन्द मिश्रा की तो वह एक निम्न मानसिकता वाला पुरुष है जो महिला ब्लोगर्स को कुतिया और अन्य विशेषणों से नवाजता हैऐसे व्यक्ति समाज में कलंक हैं और मैं ऐसे लोगों से दूर रहती हूँ

अब अनवर जमाल से कुछ विनम्र निवेदन --

- कृपया मझे मेल लिखकर भीख म़त माँगा करें कि आकर आपकी पोस्ट पर कुछ लिखूं
- आपने अपनी ही पोस्ट पर फर्जी नामों से और anonymous ID से मुझे भद्दी गालियाँ दींबाज आइये ऎसी छुद्र मानसिकता सेबचकानी हरकतें हैं ये सबबुजुर्गों पर शोभा नहीं देती
- मेरे खिलाफ लेख लिखने वाले बहुतेरे आये और चले गएइसलिए आप इस मनभरोसे में मत रहियेगा की आप इन टुटपुंजिया हरकतों से मुझे किसी प्रकार की क्षति पहुंचा सकते हैं
- किसी को बहन तभी कहिये जब उसका अपमान देखकर आपका खून खौल जाए की मदारियों की तरह मजे लीजिये स्त्री का अपमान होते देखकर। [ Blood is thicker than water ]

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