Saturday, November 17, 2012

विरोधाभासी दृष्टिकोण

विरोधाभासी दृष्टिकोण हमारे द्वारा ना अपनाए जाने का कारण यह है की हमारा इंसानी दिमाग अव्यवस्था से डरता है और स्वतः ही मौजूदा अनुक्रम को चुनौती देने वाले नए विचारों को ख़ारिज या नज़रंदाज़ कर देता है !
जब कोई नयी संभावना पेश की जाती है जो प्रचलित धारणा को चुनौती देती हो तो यह महत्वपूर्ण होता है की आप उस प्रचलित धारणा के इतिहास को समझने में सक्षम हों और यह भी समझा पाएं की इस तरह की धारणा जब पहली बार स्थापित की गयी तब हमारे समाज से कहाँ गलती हो गई।

कभी तो प्रचलित धारणा के विरुद्ध प्रश्न करो --

  • गांधी को राष्ट्र पिता क्यों कहा गया ? किसी और को क्यों नहीं ?
  • गरीबी से दम तोड़ते बच्चों के देश में बाल दिवस नेहरू के नाम पर क्यों ? बिस्मिल और आज़ाद के नाम पर क्यों नहीं ?
  •  दहेज़ कन्या पक्ष क्यों दे?. वर पक्ष क्यों नहीं ?
  •  विदा होकर लड़की ही ससुराल क्यों जाए और माता-पिता से दूर की जाए ? क्यों न घर जमाई बनाया जाए दामादों को और लड़के रहें अपने माता-पिता से दूर ? 
  •  लड़की होने पर उत्सव किया जाए , कन्या भ्रूण हत्या की मानसिकता त्यागी जाए ? 
  • कन्या की उम्र यदि  दूल्हे से ज्यादा हो ऐसा निर्धारण कर दिया जाए तो ?
  • मुस्लिम तुष्टिकरण की जगह कोई और सनक पाली जाए चुनाव जीतने के लिए तो कैसा रहेगा ?  


Zeal 

6 comments:

Unknown said...

bahut hi tej dhar ki prastuti,accha laga

सूबेदार said...

जिस देश के नायक भगवान कृष्णा और भगवान श्री राम रहे हो उस देश के राष्ट्र पिता गाँधी हो ही नहीं सकते वे केवल राष्ट्र पुत्र हो सकते है.

virendra sharma said...

सामिजिक सुधार की संभावना मौजूद रहती है हर हाल .मानदंड भी बदलते हैं .विमर्श होता रहे यह ज़रूरी है इसी से रास्ता मिलता है .

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

It is not quite possible to decipher may sociological trends.

Anonymous said...

UGG boots are not only well-liked with adult females but fellas,They says on the radio that in Australia men have been donning them for many years.Once starting to be a have to-have for gals approximately the community, is now set to race to the prime of men's want lists.

Loved for their convenience and cosiness, the very first found achievement when it was noticed on a host of elegant ladies, together with SJP, Kate Moss [url=http://www.uggbootsinuksalecheap.co.uk]ugg boots sale[/url] and Sienna Miller. associations with feminine [url=http://www.uggsbootscheapsale.co.uk]ugg boots uk[/url] manner,www.uggdiscountuk.com the style was at first developed for adult men, and were being worn by Australian sheep-shearers, and then surfers and aviators in the seventies.

Now brandishing the names of trendy wearers, these as Brad Pitt, Justin Timberlake and Leonardo DiCaprio, the brand name is top an assault on the men's current market with a launch set to acquire put in Covent Yard this week. >


The Very important is comparable to the Timeless version, with one exception. The EVA sole on the Very important has true lugs, which make the [url=http://www.uggsbootscheapersale.co.uk]UGG Boots uk[/url] boot in a position to grip distinctive varieties of surfaces. The lug soles also give the Critical a daring, rugged lookwww.uggdiscountuk.com.

For even additional durability, try a pair of the for gentlemen. The Ultras have molded rubber lug outsoles, as perfectly as cow suede toe and heel bumpers to be sure safety of your foot and the boots.

The Classic, Critical and Ultra Brief Boots appear in sand, and black.

दिवस said...

चाँद शब्दों में बहुत गहरी बात कह दी आपने।
कुछ नया करने के लिए कुछ नया करना पड़ता है अर्थात लकीर की फकीरी छोड़ लेट से हटना पड़ता है। परन्तु ऐसा करते ही जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं जिन्हें झेल पाना साधारण मनुष्य के बस में नहीं। और इसीलिए कुछ नया करने का जोखिम अधिकांश वर्ग नहीं उठाता।
करना वो चाहिए जो सही हो न कि वह जो चलता आ रहा हो।
राष्ट्रपिता का अर्थ नेशन फाउंडर होता है, जैसे पाकिस्तान का जिन्नाह और अमरीका का अब्राहम लिंकन। किन्तु क्या भारत का फाउंडर गांधी है? क्या गांधी ने ही भारत का निर्माण किया है। तो फिर राम-कृष्ण कौन थे? गाँधी को राष्ट्रपिता कहने वाले राम-कृष्ण के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। उन्हें इसका असली अर्थ समझना चाहिए न कि सभी की देखा-देखी बापू=बापू चिल्लाते रहें।
नेहरु के नाम पर बाल दिवस क्या इसीलिए कि उस ठरकी ने देश को कई भूखे-नंगे बच्चे दिए? क्या हुआ संस्कृत की उस व्याख्याता की बच्ची का जिसको पैदा करने का श्रेय नेहरु को जता है और जन्म के कुछ महीनों बाद से ही जच्चा और बच्चा गुमनाम हैं? क्या ऐसे व्यक्ति के नाम पर बाल दिवस मनाया जाए?
बिलकुल सही है कि दहेज़ कन्या पक्ष क्यों दे? एक तो अपने जिगर का टुकड़ा सौंप दिया ऊपर से हर्जाना भी दें? यह कैसी रीत है?
लड़की की उम्र बड़ी व घर जमाई जैसी प्रथाएं लागू हो जाएं तभी इस पुरुषवादी समाज को अक्ल आएगी कि स्त्री का अस्तित्व क्या है?
कन्या जन्म पर उत्सव ही होना चाहिए, आखिर घर में लक्ष्मी जो आई है। कन्या भ्रूण हत्या कर तो घर की लक्ष्मी को घर में घुसने से पहले ही रेंट दिया जाता है।
मुल्ला तुष्टिकरण के अलावा सच में देश का विकास किया जाए तो सरकारों को जीतने के लिए नौटंकी भी नहीं करनी पड़ेगी और देश भी आगे बढ़ता रहेगा।

आपकी यह पोस्ट कुछ विशेष पसंद आई। अभी कुछ लीक से हटकर सोचने वाले लोगों से मिलना हुआ। कुछ लोग तो ऐसे भी मिले जिन्होंने अपनी पत्नियों के लिए करवा चौथ का उपवास किया। हालाँकि देखने में यह सामान्य लग सकता है किन्तु उन लोगों ने उस पुराणी धारणा को तोडा जिसमे केवल स्त्रियों को ही भूखे रहने का रिवाज़ था। हो सकता है कि इनके उपवास से पत्नी का भला हो या न हो किन्तु इन्होने ये साबित कर दिया कि वे हर सुख-दुःख में पत्नी के साथ हैं।