Thursday, August 22, 2013

वैदिक गणित

हिंदु विद्वान एवं गणितज्ञ श्री भारती कृष्ण तीर्थ ने (१८८४ - १९६०) । अल्प आयु में ही गणित, विज्ञान, संस्कृत तथा अंग्रेजी आदि विषयों के वे शास्त्रज्ञ थे । अथर्व वेद के चिंतक तथा अभ्यासु तीर्थजी महाराज ने, सोलह मूलभूत वैदिक-गणित सूत्रों की खोज बीसवीं सदी की शुरुआत में की । यद्यपि इन सूत्रों व उपसूत्रों का उल्लेख, उपलब्ध वैदिक वाङ्गमय में सिद्ध नहीं हो पाया है, इन सूत्रों और सिद्धांतों की उपयुक्तता काफी हद्द तक सिद्ध हो चूकी है । वैदिक गणित की पद्धत, मन व तर्क के नैसर्गिक सिद्धांतों पर रची गयी होने के कारण, पढने में सरल और प्रयोग में तेज है ।

वैदिक गणित के सोलह सूत्र

स्वामीजी के एकमात्र उपलब्ध गणितीय ग्रंथ ‘वैदिक गणित' या 'वेदों के सोलह सरल गणितीय सूत्र’ के बिखरे हुए संदर्भों से छाँटकर डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल ने सूत्रों तथा उपसूत्रों की सूची ग्रंथ के आरंभ में इस प्रकार दी है—

1. एकाधिकेन पूर्वेण - पहले से एक अधिक के द्वारा
2. निखिलं नवतश्चरमं दशत: - सभी नौ में से तथा अन्तिम दस में से
3. उध्र्वतिर्यक् भ्याम् - सीधे और तिरछे दोनों विधियों से
4. परावत्र्य योजयेत् - विपरीत उपयोग करें।
5. शून्यं साम्यसमुच्चये - समुच्चय समान होने पर शून्य होता है।
6. आनुररूप्ये शून्यमन्यत् - अनुरूपता होने पर दूसरा शून्य होता है।
7. संकलनव्यवकलनाभ्याम् - जोड़कर और घटाकर
8. पूरणापूराणाभ्याम् - पूरा करने और विपरीत क्रिया द्वारा
9. चलनकलनाभ्याम् - चलन-कलन की क्रियाओं द्वारा
10. यावदूनम् - जितना कम है।
11. व्यष्टिसमिष्ट: - एक को पूर्ण और पूर्ण को एक मानते हुए।
12. शेषाण्यङ्केन चरमेण - - अंतिम अंक के सभी शेषों को।
13. सोपान्त्यद्वयमन्त्यम् - अंतिम और उपान्तिम का दुगुना।
14. एकन्यूनेन पूर्वेण - पहले से एक कम के द्वारा।
15. गुणितसमुच्चय: - गुणितों का समुच्चय।
16. गुणकसमुच्चय: - गुणकों का समुच्चय।


 वैदिक गणितीय सूत्रों की विशेषताएँ

(1) ये सूत्र सहज ही में समझ में आ जाते हैं। उनका अनुप्रयोग सरल है तथा सहज ही याद हो जाते हैं। सारी प्रक्रिया मौखिक हो जाती है।

(2) ये सूत्र गणित की सभी शाखाओं के सभी अध्यायों में सभी विभागों पर लागू होते हैं। शुद्ध अथवा प्रयुक्त गणित में ऐसा कोई भाग नहीं जिसमें उनका प्रयोग न हो। अंकगणित, बीजगणित, रेखागणित समतल तथा गोलीय त्रिकाणमितीय, समतल तथा घन ज्यामिति (वैश्लेषिक), ज्योतिर्विज्ञान, समाकल तथा अवकल कलन आदि सभी क्षेत्रों में वैदिक सूत्रों का अनुप्रयोग समान रूप से किया जा सकता है। वास्तव में स्वामीजी ने इन विषयों पर सोलह कृतियों की एक श्रृंखला का सृजन किया था, जिनमें वैदिक सूत्रों की विस्तृत व्याख्या थी। दुर्भाग्य से सोलह कृतियाँ प्रकाशित होने से पूर्व ही काल-कवलित हो गईं तथा स्वामीजी भी ब्रह्मलीन हो गए।

(3) कई पैड़ियों की प्रक्रियावाले जटिल गणितीय प्रश्नों को हल करने में प्रचलित विधियों की तुलना में वैदिक गणित विधियाँ काफी कम समय लेती हैं।


 नासा की भी दिलचस्पी :

ऑस्ट्रेलिया के कॉलिन निकोलस साद वैदिक गणित के रसिया हैं। उन्होंने अपना उपनाम 'जैन' रख लिया है और ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स प्रांत में बच्चों को वैदिक गणित सिखाते हैं।

उनका दावा है- 'अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकरण नासा गोपनीय तरीके से वैदिक गणित का कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाले रोबेट बनाने में उपयोग कर रहा है।

5 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

उपयोगी जानकारी !

पूरण खण्डेलवाल said...

अच्छी जानकारी !!

Unknown said...

आप का ये संकलन काबिले तारीफ है ..

प्रवीण पाण्डेय said...

यह पुस्तक पढ़ी है, बहुत अच्छी है।

Madan Mohan Saxena said...

सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति.
कभी यहाँ भी पधारें