Thursday, December 31, 2015

सबका साथ, सबका विकास ! आधे को सब्सिडी , आधे को ठेंगा

भारतवर्ष में समय-समय पर असुरों का जन्म हुआ है । कभी कोई आकर अखंड भारत को दो टुकड़ों में बाँटता है, कोई जात-पाँत में, कोई आरक्षण के नाम पर दो टुकड़े करता है और अब मोदी सरकार ने देश को अमीर और गरीब में बाँट दिया ।
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जिन्नाह ने हिन्दू मुस्लिम बांटे, आंबेडकर ने हिंदुओं को बांटा दलित और सवर्ण में । मोदी ने देश को ही बाँट दिया अमीर और गरीब में । इतिहास में इनका नाम लिखा जायेगा विभाजनकारी-षड्यंत्रकारियों में ।


Monday, December 28, 2015

आम जनता असहिष्णु बनी "चौकीदारी" पर है !

देश में २०१४ के पहले हुयी अनियमितताओं और अत्याचारों के लिए तत्काल सरकार को दोष देना बहुत सुलभ और सहज था लेकिन नयी सरकार को किसी भी बात के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि चौकीदारी पर बैठी जनता जनार्दन अचानक असहिष्णु हो उठती है ! निराश होकर कुछ लेखकों ने सारे अपराधों के लिए स्वयं को ही जिम्मेदार कहना शुरू कर दिया ! उन्होंने लिखा कि -"निर्भया हम शर्मिंदा हैं कि तुम्हारे साथ अन्याय हुआ " खैर सरकार दोषी नहीं, संविधान में खामियां नहीं, न्यायलय में गांधारियां हैं , नाबालिगों का दोष नहीं , और सत्य लिखने वालों की खैर नहीं !
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आज नया अपराध सामने आया ! दो नाबालिग लड़कियों ने अपनी ही एक सहेली के साथ दुष्कर्म करवाया ! दोषी तो कोई है नहीं ! दो चार सज्जन पुरुष खुद को शर्मिन्दा कहकर किनारे हो लेंगे !
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आजके तीसरे समारचार में एक गुंडे युवक ने पत्नी के ससुराल जाने से इंकार करने पर , अपनी पत्नी और सास को केरोसिन डालकर ज़िंदा जला दिया ! ऐसे दरिंदे के घर कोई पागल ही होगी जो जाएगी !
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दोषी तो कोई है नहीं ! क़ानून अंधा और सरकारें लाचार ! आम जनता असहिष्णु बनी "चौकीदारी" पर है ! हो रहा भारत निर्माण !
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#Digital India

Friday, December 18, 2015

सी बी आई का छापा और केजरीवाल का स्यापा

आम आदमी पार्टी वाले पहले धरना देने में चैम्पियन थे , अब "प्रेस-कांफ्रेंस " करने में रिकार्ड बना रहे हैं ! आज देखा कुमार विश्वास के साथ ही एक अन्य महानुभाव प्रेस-कांफ्रेंस के ज़रिये अपनी सुपर-डुपर योग्यता का तल्लीनता से परिचय दे रहे थे ! अचानक ही इनके पास जेटली के खिलाफ भ्रष्टाचार की फाइल आ गयी ! अभी तक कहाँ थी? छापा न पड़ता तो दिखाई न देती शायद ! केजरीवाल जी के पास कभी शीला दिक्षित तो कभी जेटली के खिलाफ पुराण निकल आती है , लेकिन आपियों के खिलाफ कभी कुछ नहीं निकलता ! प्रमाण होने के बावजूद जब अभी तक मौनी बाबा बने थे तो अब चैनल पर चिल्लाने की वजह क्या है ! कोई ऐक्शन क्यों नहीं लिया गया? सारी फाइलें सीबीआई को क्यों नहीं सौंपी गयी ! अभी तक की चुप्पी की वजह क्या है और अचानक इतनी चिल्लाहट मचाने का राज़ क्या है ! कृपया बताएं ! जनता जानना चाहती है की केजरीवाल जी फाइलों का करते क्या हैं ? पहले शीला जी की फाइलें ग़ुम हुयी फिर जेटली जी की चोरी चली गयीं ?

Wednesday, October 7, 2015

मौकापरस्ती में डूबे सयाने नेता

लड़ते झगड़ते बचकाने नेता ! 
एक दुसरे पर कीचड उछालते सयाने नेता !
लालू उतार रहे नक़ल मोदी की 
खिल्ली उड़ा रहे अमित शाह की 
एक कह रहा है स्कूटी देंगे सबको 
दूसरा कह रहा है पेट्रोल भरवाएंगे दुपहियों का
मुफ्त पेट्रोल, ५००० "योग्य-प्रतिभाशाली"लड़कियां को मिलेगा
लेकिन प्रतियोगी-परीक्षाओं में आरक्षण जाहिलों को मिलेगा
संतान तो सबको पुत्र-रत्न ही चाहिए, लेकिन
कन्याओं का तो भ्रूण जन्म से पहले ही मार दिया जाएगा !
लेकिन वोट मांगते समय कन्याओं को ही कैश किया जाएगा
सत्ता में बैठे दलालों , जनता को मूर्ख समझा है क्या?
हमारे ही पैसे लूटकर , हमें ही भीख में देकर लुभाते हो ?
लड़ते झगड़ते बचकाने नेता ,
मौकापरस्ती में डूबे सयाने नेता

Tuesday, September 22, 2015

डेंगू [dengue]



मीठापन ही जीत गया

जन्म से कायस्थ, कर्म से क्षत्रिय , कलम उठाये चलते हैं,
आभासी या असल ज़िन्दगी , शस्त्र उठाये चलते हैं !!
जीवन आधा बीत गया यूँ लड़ने और झगड़ने में,
जाने कितनी जीत मिली है अपने इन आंदोलन में 
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लेकिन मितरा जीत न पाये, तुमसे झगड़ा करने में, 
अहम हमारा टूट गया, अब तुमसे दूरी करने में ,
मीठे-मीठे बोल तुम्हारे , मीठी सी मुस्कान है जो,
मीठापन ही जीत गया, हम हार गए कड़वेपन में !!

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Zeal 'Divya'

Friday, September 18, 2015

अपाहिज होती व्यवस्था

हो रहा विकास, पतन का 
डाक्टरेट बन रहे हैं चपरासी 
पांचवी पास की नौकरी पाने के लिए 
पी एच डी लगे हैं कतार में 
लकवाग्रस्त शिक्षातंत्र, बोझ बढ़ा रहा है 
हर मासूम विद्यार्थी का !
दिखावे की शिक्षा, दिखावे के प्रोजेक्ट्स
ढेरों आडम्बर, गला काटती पतियोगी परीक्षाएं
खून चूसता तंत्र, अपाहिज होती व्यवस्था
सड़ी गली राजनीति , कुंठित प्रतिभाएं
व्यवसाय बनी ये शिक्षा, महज़
चपरासी और क्लर्क पैदा कर रही हैं ...


Zeal

Friday, September 11, 2015

"चौकस कुत्ते"

'कुत्ता' सो रहा था कुत्ते की नींद, 
हर आहट पर सचेत और चौकन्ना 
षड्यंत्र, आसानी से मुकम्मल हो रहा था 
क्योंकि "चौकस कुत्ते" पहरेदारी पर थे !
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उधर इंसान सोये जा रहा था गहरी नींद,
चीखें और विस्फोट उसी नींद नहीं तोड़ पा रहे थे 
षड्यंत्र मुकम्मल हो रहा था क्योंकिं ,
इंसान सो रहा था और "कुत्ते" घूम रहे थे चौकस !!
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[ यमक अलंकार का आनंद लीजिये और कविता का अर्थ समझिए ]

Thursday, August 20, 2015

हृदयविहीन , पाषाणहृदया ...

आरोप लगते रहते हैं मुझ पर 
की मैं पाषाणहृदय हूँ 
प्रेम से परे, ह्रदय विहीन 
रुक्ष, शुष्क और नमी के 
अभाव से ग्रस्त ...
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सोचने पर मजबूर हो गयी
कि सत्य क्या है
मानने पर विवश हो गयी
कि सत्य यही है
लेकिन मस्तिष्क इस सत्य को
स्वीकार करने को तैयार नहीं था ...
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बच्चों ने कहा -बेस्ट ममा
पति ने कहा -वंडरफुल वाईफ
भाई ने कहा- नटखट बहना
पिता ने कहा- गर्व है तुम पर
सास ने कहा - घर कि लक्ष्मी
मित्रों ने कहा -मेरी हो तुम...
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सोचने पर मजबूर हो गए
थोड़ा सा कन्फ्यूज़ हो गए
जो राष्ट्र का सतत चिंतन करता हो
समाज कि अवहेलना से व्यथित होता हो
लोकतंत्र का एक स्तम्भ बनकर खड़ा हो
निष्ठां से सारे दायित्व निभा रहा हो ...
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क्या वो प्रेम और समर्पण से दूर है?
हृदयविहीन , रुक्ष और शुष्क है?

Sunday, August 9, 2015

सोशल मीडिया पर आतंकवाद

समाचार पत्रों पर निगाह दौड़ाते हुए पाया की किस तरह ब्लॉगरों और लेखकों की हत्या की जा रही रही है ! बांग्लादेश में अब तक चार ब्लॉगरों की हत्या की जा चुकी है ! हमारे फेसबुक मित्र संजय चौहान को जान से मारने की धमकियाँ मिल रही हैं !
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ये एक विकट होती समस्या है ! सोशल मिडिया पर लिखने वाले वाले अब सुरक्षित नहीं हैं ! अनेक कुत्सित और कलुषित विचारों वाले खूंखार प्रकृति के लोग सोशल मिडिया पर सक्रीय हैं ! इनमें से कुछ सरकार के गुंडे हैं, तो कुछ अन्य पार्टियों के ! कुछ धर्म विशेष के गुंडे हैं तो कोई दलित समूह के ! कोई यादव समाज का, कोई जाट समाज का, कोई ब्राम्हण तो कोई कायस्थ समाज का !अलग अलग वर्ग, जाती , धर्म और संगठनों के ठेकेदार सोशल मिडिया पर गुंडागर्दी की जड़ें जमायें बैठे हैं ! चूँकि समाज इतने छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटा हुआ है और कोई भी किसी दुसरे का वर्चस्व नहीं चाहता !
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सहअस्तित्व में कोई जीना ही नहीं चाहता ! हर वर्ग यही चाहता है की सिर्फ उसके समर्थन में ही लिखा जाये , किसी अन्य समुदाय अथवा दल को समर्थन न दिया जाए ! आलोचना सिर्फ विरोधी दलों की जाए , उनके द्वारा समर्थित दलों की आलोचना तक न हो ! कितनी कुत्सित और तुच्छ सोच बढ़ रही है समाज में जो सोशल मिडिया के माध्यम से उजागर हो रही है !
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सोशल मिडिया पर एक से बढ़कर एक गुंडे बैठे हैं जो शराफत का चोगा ओढ़े हुए हैं ! पूरे पूरे गिरोह के साथ बैठकर दलगत राजनीति करते हैं ये लोग ! समूह में आकर उत्पीड़ित करते हैं लेखकों को ! पता नहीं इन प्रायोजित लोगों को पैसा किन संगठनों के ज़रिये से आता है लेकिन ये लोग सामान्य जनता के बीच सफेदपोश बने बैठे हैं और वाचिक आतंकवाद से शुरू करके , खुनी आतंकवाद से सोशल-मीडिया को रक्त-रंजीत कर रहे हैं !
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एक नए तरह के आतंकवाद की और बढ़ती अत्यंत खेदजनक और भयावह प्रगति जहाँ लोग एक दुसरे के खून के प्यासे हो रहे हैं ! विरोधी विचारों को पचा नहीं पा रहे ! अहम इतना बड़ा ! धैर्य एकदम नगण्य ! बात-बात पर तिलमिलाना और लेखक के खून का प्यासा हो जाना ! कहाँ जा रहा है ये समाज ? कितना पतन देखना बाकी है अभी?

Thursday, August 6, 2015

मैं और मेरी तन्हाई

मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं ...
चलो अच्छा हुया प्रशांत भूषण वकील है, न्यायाधीश नहीं !

Wednesday, August 5, 2015

विवाह

विवाह एक पवित्र संस्था है ! विवाह सूत्र में बंधकर, अपने दायित्वों को बेहतर अंजाम दिया जा सकता है ! गृहस्थ आश्रम भी जीवन का अहम हिस्सा है ! उसमें प्रवेश कर , उसमें रहते हुए भी परिवार और राष्ट्र , दोनों के प्रति अपना दायित्व पूरी निष्ठां के साथ निभाया जा सकता है ! अतः वैवाहिक जीवन को किसी भी प्रकार से कमतर आंकना या मखौल उड़ाना , उचित नहीं लगता ! यदि कुछ लोगों ने अविवाहित रहते हुए देश के प्रति अपना दायित्व निभाया है तो लाल बहादुर शास्त्री जैसे अनेकों भारत के लालों और लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगनाओं ने विवाहित रहकर अपना राष्ट्रधर्म, पूरी निष्ठां से निभाया है ! विवाहित जीवन में पत्नी अथवा पति एक दुसरे के लिए बहुत बड़ी ताकत और सम्बल साबित होते हैं ! ये बात तो वही जानता है जिसके पास ये दौलत है !
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आजकल वायरल हो रही इस तस्वीर द्वारा विवाह जैसी पवित्र सामाजिक रीती का मखौल उड़ाया गया है ! जो सर्वथा अनुचित है ! एक मानसिक विकार जैसा प्रतीत होता है !

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Saturday, August 1, 2015

मिसाइल मैन

मिसाइल मैन, डॉ कलाम की जीवनी बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल कर लेनी चाहिए अगले सत्र से, ताकि बच्चों के अंदर देशप्रेम और और देश के कुछ करने का जज़्बा पैदा हो सके और विज्ञान में रूचि बढे ! डॉ कलाम आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सदैव एक आदर्श एवं प्रेरणा का स्रोत रहेंगे !


Monday, July 20, 2015

कौवा मोती खायेगा ..

भारत देश में पढ़े-लिखे , ईमानदार और सत्यनिष्ठ लोगों की इज़्ज़त नहीं होती ! उन्हें अपमानित और प्रताड़ित किया जाता है ! येन केन प्रकारेण , दो कौड़ी के ढकोसलेबाज़ कुर्सी तक पहुँच जाते हैं और मनमानी करते हैं ! देशवासियों और देश के उत्थान से कोई सरोकार नहीं होता उन्हें !
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सत्य ही कहा था किसी ने -
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एक दिन ऐसा आएगा ,
हंस चुगेगा दाना तिनका
कौवा मोती खायेगा ..


Tuesday, July 14, 2015

Lal Bahadur Shastri


Lal Bahadur Shastri doing office work in Airplane. Along with him is his wife, Lalita Devi.
Most of us would have studied about Shastri in our school textbooks in which we were taught that he was initially a freedom fighter, then became prime minister after Nehru, and later died in Tashkent. Thats all we know. So, let me share some interesting facts about him here..
October 2nd. Whose birthday is it? Yeah correct. Also, it is Shastri's birthday on same day and most of us dont even know it, let alone celebrate.
If you combine dedication, ethics, honesty, integrity, responsibility, & austerity, you get Shastri!! The above photo is the best example to show his dedication towards his job. Can we think of today's politician doing his job in flight like this? Forget flight, do they do their jobs with this much of dedication even in their office?
Want to see how our politicians work? Watch this 1 min clip
http://www.youtube.com/watch?v=Fu8uqMEmyRE
Talking about integrity & responsibility.
There was a major railway accident sometime in 1950s. Being the railway minister at that time, he took moral responsibility and offered his resignation (However, Nehru did not accept it). That shows the moral standards he maintained.
Talking about honesty and ethics.
During freedom struggle, when he was jailed by the British, he was informed that his daughter was sick. So he asked for 15 days permission and was granted on the condition that he will not participate in freedom struggle in these 15 days. By the time he reached his home, his daughter had died. After performing the funeral for 3 days, he immediately returned back to jail inspite of having 12 more days of freedom from jail!!
Similarly, one day, while in jail, he was told that his son was sick and this time he got a permission of 7 days of leave from jail. He stayed with his son all the 7 days. The son had still not recovered, but Shastri went back to jail to keep up his word!! (Fortunately, the son survived)
Talking about austerity.
He is popularly called "The politician who made no money". He was born in a poor family, he lived his life in simplicity and austerity. And he died as a poor man. He really knew what austerity meant.
These are the kind of leaders we need today who can demonstrate what real austerity means. Not by someone who boards a train for the first time in his life at the age of 38, and spends a night in huts to prove that he is asture. We need austerity lessons from people who have really experienced poverty so that they understand what real poverty means. Not by someone who has zillions in swiss banks and talks about eradicating poverty here.
There is a nice article with more thought provoking facts about Shastri written by his press advisor:
http://in.rediff.com/news/2004/oct/06spec1.htm

जजमेंटल मत बनिए :

किसी को भी समझने के लिए पूरी एक उम्र भी काफी नहीं है ! फिर कैसे आप किसी की एक पोस्ट को पढ़कर उसे पूरी तरह समझ लेने का दावा कर सकते हैं ! पोस्टें तो प्रितिक्रिया मात्र है हमारे इर्द गिर्द घट रही घटनाओं की ! जब किसी भी दो व्यक्ति का जेनेटिक-कम्पोज़ीशन एक सा नहीं होता तो विचार कैसे एक होंगें ? विभिन्न विचारधाएं ही तो इस संसार की सबसे बड़ी खूबसूरती हैं ! उसी का आनंद लीजिये ! अधीर होकर लिखने वाले पर आक्रमण मत कर दीजिये ! बाद में आपको ही पछतावा होता है और ग्लानि होती है ! लेकिन अकसर देर हो चुकी होती है तब तक !
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कुछ लोगों का करेंट अफेयर्स पर पकड़ अधिक है तो किसी का दर्शन और साहित्य पर ! कोई शायरी लिखता है अथवा कोई राजनीति पर लिखता है, दोनों से ही उसकी असल ज़िंदगी का पता नहीं लगाया जा सकता ! कुछ लोग अपने गम/ अपनी मुश्किलें पब्लिक में लिखना पसंद नहीं करते ! कमज़ोर नहीं दिखना चाहते और समाज को कमज़ोर भी नहीं बनाना चाहते ! अतः बिना कुछ जाने समझे मत आहत करिये किसी को अपने शब्द बाणों से ! अपशब्द कहकर आप जीतेंगे नहीं , केवल खो देंगे उसे, सदा सर्वदा के लिए !
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यदि फेसबुक पर अलग अलग तरह का लेखन नहीं होगा, तो आपको वैराइटी कहाँ से मिलेगी? पृथक पृथक विचारों से ही तो मन में मंथन होता है और कुछ नया निकल कर आता है ! मुझे तो अपने मित्रों और अमित्रों , सभी की वॉल पर कुछ नया ही मिलता है सदैव ! बेहद उम्दा लिखते हैं सभी ! पढ़कर आनंद आ जाता है ! कुछ मित्रों की टिप्पणियां भी अति उत्कृष्ट होती हैं , बहुत कुछ सीखने को मिलता है उनसे !
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लेकिन कभी-कभी कुछ मित्र अत्यंत नाराज़ होकर अपशब्द लिख देते हैं , व्यक्तिगत आक्षेप लगा देते हैं! ऐसा कहकर वे किस सभ्यता और शिक्षा का परिचय देते हैं?
कल एक मित्र ने कहा आप औरत हो अतः अकल कम है आपके पास!
दुसरे ने मुझे कुंठित और पूर्वाग्रही कहा
तीसरे ने चिढ़कर मेसेज किया --"जाओ खाना बनाओ जाकर"
(बाद में तीनों ने अपनी गलती का एहसास भी कर लिया किन्तु...)
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अब ऐसे लोगों को क्या लिखूं , औरत हो या पुरुष , सभी तो मैडम क्यूरी और आईन्स्टाईन नहीं होते , लेकिन मात्र स्त्री अथवा पुरुष होने भर से ही किसी को कमतर नहीं आँका जा सकता ! किसी को कुंठित और पूर्वाग्रही कहना आपकी स्वयं की कुंठा और पूर्वाग्रह को परिलक्षित करती है ! रही बात खाना बनाने की तो वो खुद ही बनती हूँ भाई , तुम्हारी बीबी आकर नहीं बना जाती ! अतः लेखक/लेखिका पर व्यक्तिगत आक्षेप करने से बचें !
यदि किसी का लेखन और विचार आपको नहीं पसंद आता तो छोड़ दें उसे पढ़ना लेकिन आभासी दुनिया में अनजान और अपरिचित लेखकों का अपमान न करें ! इसका अधिकार शिष्ट जनों के पास नहीं है ! (अशिक्षितों के पास तो सारे अधिकार सुरक्षित होते हैं )
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अतः जजमेंटल मत बनिए ! अधीर मत बनिए ! किसी को समझना ही चाहते हैं तो उस व्यक्ति को लगातार पढ़िए तब थोड़ा थोड़ा समझेंगे ! प्रतिक्रिया सिर्फ पोस्ट पर दीजिये किसी के व्यक्तित्व पर ऊँगली मत उठाईये ! किसी को समझने के लिए एक उम्र भी नाकाफी है आप एक पोस्ट की बात करते हैं?

Monday, July 13, 2015

गैस सब्सिडी

बहुतों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी , ज़रा आंकड़े दीजिये कि इससे कितने गरीब घरों को गैस का चूल्हा पहुँचाया गया ? 'Give it up " का विज्ञापन तो बहुत धूम मचा रहा है ! लोगों को इमोशनल ब्लैकमेल करके उन्हें लूट रहा है , लेकिन जो पैसा सरकारी खजाने में जा रहा है , उसका लाभ कौन ले रहा है ?
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प्रतिदिन लगभग २५००० लोग अपनी सब्सिडी छोड़ रहे हैं और उनकी मेहनत की कमाई कहाँ जा रही है , ये सोचने की भी फुर्सत नहीं हैं उनको !
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देते कुछ नहीं , मांगते सब कुछ हैं ! कुछ दिनों में ये जनता कि सैलरी भी मांग लेंगें ! खुद तो जनता के पैसे पर ऐश करते हैं ! मुफ्त वाहन , सिक्योरटी आदि आदि ...
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Sunday, July 12, 2015

चलो झांसा-झांसा खेलें

नेता केवल जनता को ही झांसा नहीं देते बल्कि एक दुसरे को भी भरपूर झांसा देते हैं !


Thursday, July 9, 2015

लखनऊ का ये "नीम का वृक्ष"

लखनऊ का ये "नीम का वृक्ष" , पांच सौ वर्षों से अधिक पुराना है ! इसकी उम्र, अक्षय-वट-वृक्ष से भी ज्यादा बताई जाती है ! इसका पूरा विस्तार कैमरे की ज़द में नहीं आ रहा ! दोनों तरफ से निकलती शाखाएं देखिये, विस्तार पाकर दोनों तरफ से भूमिगत हो गयी हैं ! सैकड़ों वर्षों से ये वृक्ष सुरक्षित था लेकिन अब देखिये ये जो सफ़ेद टाइल्स का चबूतरा दिख रहा है ये मात्र चार माह पूर्व बना है , जो नीम की जड़ों को क्षति पहुंचा रहा है और उसकी नैसर्गिक छटा को कम कर रहा है ! ऑक्सीजन न मिल पाने के कारण जड़ें प्रायः सूख सी रही हैं ! श्रद्धालुओं की भावना का सम्मान करते हुए उनसे करबद्ध निवेदन है की कृपया इस तरह के पक्के चबूतरे न बनवाएं ! ये वृक्ष केवल कच्ची मिटटी के चबूतरे में ही अगले कई वर्षों तक जीवित रह सकेगा ! इस बृक्ष के चारों तरफ दस किलोमीटर में आम के बाग़ हैं ! इतना अलौकिक दृश्य कम ही देखने को मिलता है ! बचाईये अपनी धरोहर ! संरक्षित करिये इन वृक्षों को !




"अक्षय-वटवृक्ष "

लखनऊ में चन्द्रिका देवी मंदिर से आधे किलोमीटर आगे जाने पर ये अद्भुत एवं ५०० वर्ष पुराना "अक्षय-वटवृक्ष " देखने को मिलेगा ! इसका विस्तार एक बहुत बड़े क्षेत्र में हैं ! हज़ारों की संख्या में इसकी जड़ें दिखाई देंगीं ! सफ़ेद रंग में रंगे सभी वृक्ष, एक ही वृक्ष की जड़ें हैं ! मान-मानता पूरी होने पर लोग इस वृक्ष के नीचे अनेक मंदिर बनवा रहे हैं , जिससे वृक्ष को क्षति पहुंच रही है, अतः कृपया निर्माण कार्य न करवाएं यहाँ ! यहाँ हरिवंश राय बाबा की समाधि है , उसी पर यह वृक्ष उगा हुआ है !







Tuesday, June 23, 2015

आयुर्वेद को अपनी प्रतिष्ठा कब वापस मिलेगी ?



आयुर्वेद को अपनी प्रतिष्ठा कब वापस मिलेगी ? योग तो आयुर्वेद का छोटा सा अंग है जिसे विदेशों ने भी अपना लिया है ! चालाक और बुद्धिमान विदेशी हमारे देश की सम्पदा चुरा ले जाते हैं क्योंकि वे उसका मूल्य समझते हैं लेकिन भारत देश के बुद्धिजीवी घर की खेती घास बराबर समझते हैं ! हानिकारक अंग्रेजी दवाईयां लैमनचूस समझकर खाते हैं और प्राकृतिक औषधीय चिकत्सा से परहेज़ रखते हैं ! अज्ञानता की पराकाष्ठा ही व्यक्ति को विवेकहीन कर देती है ! महंगे और हानिकारक इलाज को करते हैं , ये भी नहीं जानते की एक मर्ज के इलाज के बदले दो और मर्ज से ग्रसित हो जाते हैं ! कैंसर से ज्यादा घातक तो कैंसर की अंग्रेजी दवाईयां हैं !
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आयुर्वेद एक समग्र चिकित्सा विज्ञान है, जो रोगों की जड़ से चिकित्सा करता है ! बिना किसी साइड इफेक्ट्स के ! सरकार इस और ध्यान दे तो इस विलुप्त होती विधा को संरक्षित किया जा सकता है ! छह AIIMS की घोषणा के साथ छह आयुर्वेदिक चिकित्सालयों की भी घोषणा कर सकता है ! यदि चिकित्सा पद्धतियों के साथ निष्पक्ष रहा जाए, सौतेला व्यवहार न किया जाए तो अनमोल पद्धति को पुनर्प्रतिष्ठित किया जा सकता है !
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अंग्रेज़ आये , आयुर्वेद की प्रत्यारोपण तकनीक को उठा ले गए और खुद प्लास्टिक सर्जरी के जनक बन बैठे ! जानों अपना इतिहास और अपनी बौद्धिक सम्पदा को ! आयुर्वेद की रचना सृष्टि की उत्पत्ति के समय हुयी है ! आयुर्वेद , अथर्ववेद का उपवेद है , सहस्त्रों वर्ष पुराना है ! सर्जरी के जनक आचार्य सुश्रुत एवं काय चिकित्सा (मेडिसिन) के जनक धन्वन्तरि हैं ! सुश्रुत के समय में सर्जरी बेहद उन्नत अवस्था में थी ! समय के साथ आयुर्वेद को दबाते चले गए , अंग्रेजी चिकित्सा जो आयुर्वेद का शोध मात्र है , उसे अपनाने में गौरवान्वित समझने लगे ! आज अच्छे अच्छे एडुकेटड लोग भी आयुर्वेद के बारे में कुछ नहीं जानते ! लोग अनेकानेक भ्रांतियों में जी रहे हैं ! वही हाल है जैसे घर का स्वच्छ, सुरुचिपूर्ण और पौष्टिक भोजन त्यागकर लोग ठेले की चाट खाते हैं ! पैसे भी फूंकते हैं और अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी करते हैं !
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आयुर्वेद को पहचानो! हीरों की खान है ! सरकार को अपना दायित्व समझना चाहिए इस बहुमूल्य धरोहर के प्रति ! प्रत्येक शहर में मल्टी-फैसिलिटी आयुर्वेदिक अस्पताल खुलने चाहिए ! आयुर्वेदिक चिकित्सकों को रोजगार मिलना चाहिए और आम जनता में इसके प्रति जागरूकता बढ़ानी चाहिए ! सरकार के साथ साथ लेखकों का भी दायित्व है की वे इस क्षेत्र में जागरूकता लाएं !

Thursday, June 11, 2015

सूर्य नमस्कार



सूर्य नमस्कार :
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१- प्रणाम स्थिति :- दोनों हाथों को जोड़कर सीने के पास रखें व दृष्टि सामने रखें !एड़ियां मिलाकर रखें ! अनाहत चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ मित्राय नमः का जाप करें !
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२-हस्तोत्थानासन :- दोनों हाथों को श्वास भरते हुए ऊपर की और ले जाएँ ! विशुद्धि चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ रवैये नमः का जाप करें !
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३-पाद हस्तासन :- श्वास छोड़ते हुए मस्तक को घुटने से वा हाथों को ज़मीन से लगाने का प्रयास स्वाधिष्ठान चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ सूर्याय नमः का जाप करें !
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४-अश्व संचालनासन :- एक पैर को पीछे ले जाएँ व दोनों हाथों को एक साथ रखें तथा छाती को ऊपर उठाएं ! आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ भानवे नमः का जाप करें !
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५-दण्डासन :- दोनों पैरों को पीछे ले जाते हैं व दोनों हाथों को आगे रखें !मणिपुर चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ खगाय नमः का जाप करें !
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६-अष्टांग नमस्कार :- श्वास छोड़ते हुए घुटने, छाती, ठुड्डी व मस्तक को ज़मीन से लगाएं ! अनाहत चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ पूष्णे नमः का जाप करें !
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७- भुजंगासन :-- दोनों हाथों को कंधे के पास रखते हुए धड़ को श्वास लेते हुए ऊपर उठाएं ! स्वाधिष्ठान चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ हिरण्यगर्भाय नमः का जाप करें !
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८-पर्वतासन :- इसमें श्वास छोड़ते हुए मस्तक को ज़मीन से लगाएं वा नाभि को देखने का प्रयास करें ! विशुद्धि चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ मरीचये नमः का जाप करें !
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९- अश्वसंचालनासन :- एक पैर को पीछे ले जाएँ व दोनों हाथों को एक साथ रखें तथा छाती को ऊपर उठाएं ! आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ आदित्याय नमः का जाप करें !
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१०- पाद हस्तासन :-श्वास छोड़ते हुए दोनों पैरों को साथ लाएं तथा मस्तक को घुटने से वा हाथों को ज़मीन से लगाएं ! स्वाधिष्ठान आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ सवित्रे नमः का जाप करें !
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११-हस्तोत्थानासन :-दोनों हाथों को श्वास भरते हुए ऊपर की और ले जाएँ ! विशुद्धि चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ अर्काय नमः का जाप करें !
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१२-प्रणाम स्थिति :- दोनों हाथों को जोड़कर सीने के पास रखें व दृष्टि सामने रखें !एड़ियां मिलाकर रखें ! अनाहत चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ भास्कराय नमः का जाप करें !
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अपनी क्षमानुसार सम्पूर्ण क्रिया को पांच बार दोहराएं और अंत में पांच मिनट का "शवासन" अवश्य करें ! सूर्य (सविता) का प्रखर तेज़ हमें स्वस्थ, प्रसन्न वा पवित्र बना रहा है ऐसा भाव बनाएं रखें !


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Wednesday, June 10, 2015

हमारा "सूर्य नमस्कार" योग दिवस में शामिल करो

प्रधान-सेवक किसके ? हिन्दुओं के या फिर शांतिदूतों के? केवल लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रेकॉर्ड में दर्ज करने की लालच में औने-पौने, काट-छाँट वाला योगासन क्यों निर्धारित किया ? आतंकवाद फैलाने वाले मुस्लिमों को खुश करने की मजबूरी क्या है? पहले जनमत संग्रह कराया जाए की भारत की कितने प्रतिशत आबादी सूर्य नमस्कार करने के पक्ष में है और कितनी नहीं !
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यदि मुस्लिम फतवा जारी कर सकते हैं तो हम हिन्दू भी बहिष्कार करते हैं इस योग दिवस का ! जब तक सूर्य नमस्कार शामिल नहीं किया जाएगा , तब तक इस योग दिवस का कोई औचित्य नहीं है ! ये मात्र एक खानापूर्ति और कागज़ों पर दर्ज करने वाला आंकड़ा मात्र है !
जब किसी पर, किसी भी प्रकार की बाध्यता नहीं है तो सूर्य नमस्कार हटाने का दुराग्रह क्यों ? इस समय जो तटस्थ रहेगा उसे इतिहास भी माफ़ नहीं करेगा और ना ही उनकी आने वाली औलादें !

Saturday, June 6, 2015

तीरंदाजी..

तीरंदाजी विश्व चैम्पियनशिप के लिए जा रही टीम के ३२ में से २० को वीसा नहीं दिया गया ! तीन महीने से दिन रात मेहनत कर रहे खिलाड़ी निराश हो गए ! कारण बताया गया कि वे ये साबित नहीं कर पाये कि वे खेल के बाद भारत वापस आ जाएंगे ! US embassy भयभीत है कि कहीं ये खिलाड़ी इनके देश में धरना देकर ना बैठ जाएँ ! बताया जा रहा है कि खिलाड़ियों कि इंग्लिश इतनी अच्छी नहीं थी कि वे अपनी बात को सही ढंग से नहीं रख पाये ! खेल एसोसिएशन और भारत सरकार को हस्तक्षेप करके वो बात सामने रखनी थी एंबेसी के जो वे खिलाड़ी अंग्रेजी ठीक से ना आने के कारण नहीं रख पाये थे ! टीम -विड्रॉ कर लेना कोई विकल्प नहीं ! आखिर हमारी टीम को निमंत्रण मिला था, कोई खैरात में नहीं जा रहे थे !

Saturday, May 30, 2015

राजनीति में आरक्षण


नेता चुनाव क्यों लड़ते हैं, 
तिलचट्टों के लिए तो कुर्सी आरक्षित रहती है !
राजनीति में भी दे दो आरक्षण 
खैराती कुर्सियों पर कर्णधारों को बैठने दो
चुनाव के खर्चे बचा लो, 

देश विकास कर लेगा !

Friday, May 29, 2015

नपुंसकों का हिस्सा छीनकर गुंडों को दे दिया

अंबेडकर ने जातिवाद का बीज बोया,
कांग्रेस ने पैसठ साल तक पानी दिया 
अब बीजेपी आकर खाद डाल रही है ! 
सरकारें कभी नहीं बदलती , 
केवल मतलबी चेहरे बदलते हैं
अंबेडकर के दिए ज़ख्म में,
कांग्रेसी चाकू से लहू रिसता रहा
बीजेपी ने आकर ज़ख्म में नमक डाल दिया !
डरपोक , मौकापरस्त सरकारों ने
गुज्जरों की अराजकता के आगे घुटने टेक दिए
इनकी जेब से क्या जाता है,
हमारा हिस्सा, इन पिस्सुओं को खैरात में दे दिया !
गुंडों को मिलेगा आरक्षण तो देश का ख़ाक विकास करेगा ?

Thursday, May 28, 2015

स्वर्ग में आरक्षण ...

सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण तो समाप्त कर ही दिया है , अब धीरे धीरे नौकरियों से भी समाप्त कर दिया जाएगा ! गुज्जरों, जाटों और दलितों को अब अपनी काबिलियत दिखानी होगी, प्लेट में हलवा सजाकर नहीं दिया जाएगा !
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आरक्षण एक बार लो, बार बार नहीं , पहले शिक्षा में, फिर कॉम्पिटिटिव एक्साम्स में , फिर नौकरी में फिर पदोन्नति में , अरे कितनी लालच करोगे भाई ? सुरसा की तरह मुंह मत फाड़ो ! कहीं तो कॉमा, फुलस्टॉप लगाओ ! या स्वर्ग तक आरक्षण चाहिए !

Wednesday, May 27, 2015

आरक्षण हटाने का कोई ठोस उपाय बताईये !

देश की बदलती सरकारें भी आरक्षण की ही बैसाखी थामें हैं ! लोगों को आरक्षण देकर बदले में वोट लेती हैं ! सामान्य कैटेगरी वाले चुपचाप अन्याय सहते रहेंगे क्या? आरक्षण वाले उनकी लाश पर चढ़कर अपना तथाकथित विकास कर रहे हैं ! निवेदन है समाधान दीजिये !

Friday, May 8, 2015

कायस्थ ब्राह्मण

कायस्थ ब्राह्मण
http://hi.wikipedia.org/s/zq7 से
कायस्थ, एक 'उच्च' श्रेणी की जाति है हिन्दुस्तान में रहने वाले सवर्ण हिन्दू चित्रगुप्त वंशी क्षत्रियो को ही कायस्थ कहा जाता है। स्वामी वेवेकानंद ने अपनी जाती की व्याख्या कुछ इस प्रकार की है :- एक बार स्वामी विवेकानन्द से भी एक सभा में उनसे उनकी जाति पूछी गयी थी। अपनी जाति अथवा वर्ण के बारे में बोलते हुए विवेकानंद ने कहा था “मैं उस महापुरुष का वंशधर हूँ, जिनके चरण कमलों पर प्रत्येक ब्राह्मण ‘‘यमाय धर्मराजाय चित्रगुप्ताय वै नमः’’ का उच्चारण करते हुए पुष्पांजलि प्रदान करता है और जिनके वंशज विशुद्ध रूप से क्षत्रिय हैं। यदि अपनें पुराणों पर विश्वास हो तो, इन समाज सुधारको को जान लेना चाहिए कि मेरी जाति ने पुराने जमानें में अन्य सेवाओं के अतिरिक्त कई शताब्दियों तक आधे भारत पर शासन किया था। यदि मेरी जाति की गणना छोड़ दी जाये, तो भारत की वर्तमान सभ्यता का शेष क्या रहेगा ? अकेले बंगाल में ही मेरी जाति में सबसे बड़े कवि, सबसे बड़े इतिहास वेत्ता, सबसे बड़े दार्शनिक, सबसे बड़े लेखक और सबसे बड़े धर्म प्रचारक हुए हैं। मेरी ही जाति ने वर्तमान समय के सबसे बड़े वैज्ञानिक (जगदीश चंद्र बसु) से भारत वर्ष को विभूषित किया है।’’स्मरण करो एक समय था जब आधे से अधिक भारत पर कायस्थों का शासन था। कश्मीर में दुर्लभ बर्धन कायस्थ वंश, काबुल और पंजाब में जयपाल कायस्थ वंश, गुजरात में बल्लभी कायस्थ राजवंश, दक्षिण में चालुक्य कायस्थ राजवंश, उत्तर भारत में देवपाल गौड़ कायस्थ राजवंश तथा मध्य भारत में सतवाहन और परिहार कायस्थ राजवंश सत्ता में रहे हैं। अतः हम सब उन राजवंशों की संतानें हैं, हम बाबू बनने के लिए नहीं, हिन्दुस्तान पर प्रेम, ज्ञान और शौर्य से परिपूर्ण उस हिन्दू संस्कृति की स्थापना के लिए पैदा हुए हैं जिन्होंने हमें जन्म दिया है।.
यही वह ऐतिहासिक वर्ग है जो श्रीचित्रगुप्तजी का वंशज है। इसी वर्ग कि चर्चा सबसे पुराने पुराण और वेद करते हैं। यह वर्ग १२ उप-वर्गो में विभजित किया गया है, यह १२ वर्ग श्रीचित्रगुप्तजी की पत्नियो देवी शोभावति और देवी नन्दिनी के १२ सुपुत्रो के वंश के आधार पर है। कायस्थो के इस वर्ग की उपस्थिती वर्ण व्यवस्था में उच्चतम है। प्रायः कायस्थ शब्द का प्रयोग अन्य कायस्थ वर्गों के लिये होने के कारण भ्रम की स्थिति हो जाती है, ऐसे समय इस बात का ज्ञान कर लेना चाहिये कि क्या बात "चित्रंशी या चित्रगुप्तवंशी कायस्थ" की हो रही है या अन्य किसी वर्ग की।
पौराणिक उत्पत्त्ति
कायस्थों का स्त्रोत भग्गवान श्री चित्रगुप्तजी महाराज को माना जाता है |कहा जाता है कि ब्रह्मा ने चार वर्ण बनाये (ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य, शूद्र) तब यमराज ने उनसे मानवों का विव्रण रखने मे सहायता मांगी।
फिर ब्रह्मा ११००० वर्षों के लिये ध्यानसाधना मे लीन हो गये और जब उन्होने आँखे खोली तो एक पुरुष को अपने सामने कलम, दवात-स्याही, पुस्तक तथा कमर मे तलवार बाँधे पाया। तब ब्रह्मा जी ने कहा कि "हे पुरुष! क्योकि तुम मेरी काया से उत्पन्न हुए हो, इसलिये तुम्हारी संतानो को कायस्थ कहा जाएगा। और जैसा कि तुम मेरे चित्र (शरीर) मे गुप्त (विलीन) थे इसलिये तुम्हे चित्रगुप्त कहा जाएगा "
श्री चित्रगुप्त जी को महाशक्तिमान क्षत्रीय के नाम से सम्बोधित किया गया है
चित्र इद राजा राजका इदन्यके यके सरस्वतीमनु।
पर्जन्य इव ततनद धि वर्ष्ट्या सहस्रमयुता ददत ॥ ऋग्वेद ८/२१/१८
गरुण पुराण मे चित्रगुप्त को कहा गया हैः
"चित्रगुप्त नमस्तुभ्याम वेदाक्सरदत्रे" (चित्रगुप्त हैं पात्रों के दाता)
पद्म पुराण के अनुसार श्री चित्रगुप्तजी महाराज का परिवार |
श्री चित्रगुप्त जी के दो विवाह हुये, पहली पत्नी सूर्यदक्षिणा / नंदिनी जो सूर्य के पुत्र श्राद्धदेव की कन्या थी, इनसे ४ पुत्र हुए। दूसरी पत्नी ऐरावती / शोभावति धर्मशर्मा (नागवन्शी क्षत्रिय) की कन्या थी, इनसे ८ पुत्र हुए।
अत: कायस्थ की १२ शाखाएं हैं - श्रीवास्तव, सूर्यध्वज, वाल्मीक, अष्ठाना, माथुर, गौड़, भटनागर, सक्सेना, अम्बष्ठ, निगम, कर्ण, कुलश्रेष्ठ | इन बारह पुत्रों का वृतांत नीचे दिया जा रहा है | जिसका उल्लेख अहिल्या, कामधेनु, धर्मशास्त्र एवं पुराणों में भी दिया गया है |
श्री चित्रगुप्तजी महाराज के बारह पुत्रों का विवाह नागराज बासुकी की बारह कन्याओं से सम्पन्न हुआ, जिससे कि कायस्थों की ननिहाल नागवंश मानी जाती है और नागपंचमी के दिन नाग पूजा की जाती है | माता नंदिनी के चार पुत्र काश्मीर के आस -पास जाकर बसे तथा ऐरावती / शोभावति के आठ पुत्र गौड़ देश के आसपास बिहार, उड़ीसा, तथा बंगाल में जा बसे | बंगाल उस समय गौड़ देश कहलाता था, पदम पुराण में इसका उल्लेख किया गया है |
माता सूर्यदक्षिणा / नंदिनी के पुत्रों का विवरण
1 - भानु (श्रीवास्तव) - श्री भानु माता नंदिनी के जेष्ठ पुत्र थे | उनका राशि नाम धर्मध्वज था | श्री भानु मथुरा में जाकर बसे | इसलिये भानु परिवार वाले माथुर कायस्थ कहलाने के साथ - साथ सूर्यवंशी भी कहलाये |
2 - विभानु (सूर्यध्वज) - भटनागर उत्तर भारत में प्रयुक्त होने वाला एक जातिनाम है, जो कि हिन्दुओं की कायस्थ जाति में आते है। इनका प्रादुर्भाव यमराज, मृत्यु के देवता, के पाप पुण्य के अभिलेखक, श्री चित्रगुप्त जी की प्रथम पत्नी दक्षिणा नंदिनी के द्वितीय पुत्र विभानु के वंश से हुआ है। उनकी राशि का नाम श्यामसुंदर था | विभानु को चित्राक्ष नाम से भी जाना जाता है। महाराज चित्रगुप्त ने इन्हें भट्ट देश में मालवा क्षेत्र में भट नदी के पास भेजा था। इन्होंने वहां चित्तौर और चित्रकूट बसाये। ये वहीं बस गये और इनका वंश भटनागर कहलाया। इनका वास स्थान भारत के वर्तमान पंजाब प्रदेश में भट्ट प्रदेश था। इनकी पत्नी का नाम मालिनी था। उपासना देवी- जयन्ती
3 - विश्वभानु (बाल्मीकि) - श्री विश्वभानु माता नंदिनी के तृतिय पुत्र थे | उनका राशि नाम दीनदयाल था |
श्री विश्वभानु का परिवार गंगा - यमुना दोआब, जिसको प्राचीन काल में साकब द्वीप कहते थे, में जाकर बसे | इसलिये विश्वभानु परिवार वाले सक्सेना कायस्थ कहलाने के साथ - साथ सूर्यवंशी भी कहलाये |
3 - वीर्यभानू (अष्ठाना) - श्री वीर्यभानू माता नंदिनी के सबसे छोटे पुत्र थे | उनका राशि नाम माधवराव था | श्री वीर्यभानू का परिवार बांस देश (काश्मीर), में जाकर बसे | इसलिये वीर्यभानू परिवार वाले श्रीवास्तव कायस्थ कहलाने के साथ - साथ सूर्यवंशी भी कहलाये |
माता ऐरावती / शोभावति के पुत्रों का विवरण
1- चारु (माथुर) - श्री चारु माता ऐरावती / शोभावति के जेष्ठ पुत्र थे | उनका राशि नाम पुरांधर था | श्री चारु का परिवार सूर्यदेश (बिहार) देश, में जाकर बसे और उनके राष्ट्रध्वज का चिन्ह सूर्य होने के कारण सूर्यध्वज कहलाये |
2- सुचारु (गौड़) - श्री सुचारु माता ऐरावती / शोभावति के द्वितीय पुत्र थे | उनका राशि नाम सारंगधार था | श्री सुचारु का परिवार पश्चिम बंगाल के अम्बष्ठ जनपद, में जाकर बसे इस कारण अम्बष्ठ कहलाये |
3- चित्र (चित्राख्य) (भटनागर) - श्री चित्र माता ऐरावती / शोभावति के तृतीय पुत्र थे | उनका राशि नाम सारंगधार था | श्री चित्र का परिवार गौड़ देश (बंगाल), में जाकर बसे इस कारण गौड़ कहलाये |
4- मतिभान (हस्तीवर्ण) (सक्सेना) - निगम उत्तर भारतीय कायस्थ होते हैं। श्री मतिभान (हस्तीवर्ण) माता ऐरावती / शोभावति के चौथे पुत्र थे | उनका राशि नाम रामदयाल था | श्री मतिभान (हस्तीवर्ण) का परिवार निगम देश (काशी), में जाकर बसे इस कारण निगम कहलाये|
5- हिमवान (हिमवर्ण) अम्बष्ठ - श्री हिमवान (हिमवर्ण) माता ऐरावती / शोभावति के पाँचवें पुत्र थे | उनका राशि नाम सारंधार था | श्री हिमवान (हिमवर्ण) का परिवार गौड़ देश (बिहार), में प्राचीन करनाली नामक ग्राम में जाकर बसे इस कारण कर्ण कहलाये |
6- चित्रचारु (निगम) - श्री चित्रचारु माता ऐरावती / शोभावति के छटवें पुत्र थे | उनका राशि नाम सुमंत था | श्री चित्रचारु का परिवार अष्ठाना देश (छोटा नागपुर), जो नागदेश से भी प्रसिद्ध है में जाकर बसे इस कारण अष्ठाना कहलाये |
7- चित्रचरण (कर्ण) - श्री चित्रचरण माता ऐरावती / शोभावति के सातवें पुत्र थे | उनका राशि नाम दामोदर था | श्री चित्रचरण का परिवार बंगाल में नदिया जो बंगाल की खाडी के ऊपर स्थित है, में जाकर बसे | सेवा की भावना के कारण अपने कायस्थ कुल में श्रेष्ठ माने गये इस कारण कुलश्रेष्ठ कहलाये |
8- अतिन्द्रिय (जितेंद्रय) (कुलश्रेष्ठ) - श्री अतिन्द्रिय (जितेंद्रय) माता ऐरावती / शोभावति के सबसे छोटे पुत्र थे | उनका राशि नाम सदानंद था | श्री अतिन्द्रिय (जितेंद्रय) का परिवार बाल्मीकि देश (पुराना मध्य भारत), में जाकर बसे इस कारण बाल्मीकि कायस्थ कहलाये |
श्रीचित्रगुप्त जयंती
चित्रगुप्त जयंती
कायस्थ भाई दूज के दिन श्रीचित्रगुप्त जयंती मनाते हैं। इस दिन पर वे कलम-दवात पूजा (कलम, स्याही और तलवार पूजा) करते हैं, जिसमें पेन, कागज और पुस्तकों की पूजा होती है। यह वह दिन है जब भगवान श्रीचित्रगुप्त का उदभव ब्रह्माजी के द्वारा हुआ था और यमराज अपने कर्तव्यों से मुक्त हो, अपनी बहन देवी यमुना से मिलने गये, इसलिए इस दिन पूरी दुनिया भैयादूज मनाती है और कायस्थ, श्रीचित्रगुप्त जयंती का जश्न मनाते हैं।
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==श्री चित्रगुप्त जी की आरती==
जय चित्रगुप्त यमेश तव, शरणागतम शरणागतम।
जय पूज्य पद पद्मेश तव, शरणागतम शरणागतम।।
जय देव देव दयानिधे, जय दीनबन्धु कृपानिधे।
कर्मेश तव धर्मेश तव, शरणागतम शरणागतम।।
जय चित्र अवतारी प्रभो, जय लेखनी धारी विभो।
जय श्याम तन चित्रेश तव, शरणागतम शरणागतम।।
पुरुषादि भगवत अंश जय, कायस्थ कुल अवतंश जय।
जय शक्ति बुद्धि विशेष तव, शरणागतम शरणागतम।।
जय विज्ञ मंत्री धर्म के, ज्ञाता शुभाशुभ कर्म के।
जय शांतिमय न्यायेश तव, शरणागतम शरणागतम।।
तव नाथ नाम प्रताप से, छुट जायें भय त्रय ताप से।
हों दूर सर्व क्लेश तव, शरणागतम शरणागतम।।
हों दीन अनुरागी हरि, चाहे दया दृष्टि तेरी।
कीजै कृपा करुणेश तव, शरणागतम शरणागतम।।

Saturday, April 25, 2015

दो गज़ चादर

दो गज़ की चादर से बैर नहीं , 
तो छटांक भर की टोपी से गुरेज़ कैसा? 
अजी, सज़दा ही करना था तो पूरे हुस्नो-ज़माल से करते 
उन्हें भी रंज ना रहता और अल्लाह का करम भी हो जाता !

Thursday, April 23, 2015

सपने मरते नहीं हैं कभी...

सपने अधूरे भले ही रह जाएँ,
लेकिन मरते नहीं हैं कभी !
मुझसे तो मेरे मरने के बाद भी 
मुझे हिला कर पूछ लेना,
यही आवाज़ आएगी ...
"हाँ, फिर से शहर बदला है 
और फिर से उम्मीद जागी है "

Monday, April 20, 2015

माँ





जब मैं छोटी थी तब आप मेरी माँ थीं, 
जब मैं बड़ी हुयी तो आप मेरी दोस्त बन गयीं, 
आज आप इस दुनिया में ही नहीं हैं,
फिर भी आप मेरा आदर्श बनकर जीवित हैं !
आप कल भी पास पास थीं, आप आज भी करीब हैं !

Wednesday, April 15, 2015

मौत:

आज सुबह तुमने पूछा था, बताओ तुम्हारी आँखों में आँसू क्यों है? ये उस अकाल मृत्यु का शोक है जो, सरहद पर डटे जवानों को आ जाती है, बारिश में बर्बाद हुए किसानों को आ जाती है, और कभी-कभी, जीते जी हम जैसे इंसानों को आ जाती है रो लेती हैं ज़िंदा लाशें अपनी ही मौत पर , घुट जाते हैं शब्द सारे, रूंधे गले में ऐंठ कर !!

Wednesday, April 8, 2015

बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही गोरी काफी है

राहुल जी जब भी बाहर जाते हैं,
बस एक ही चिंता लगी रहती है, 
कहीं एक और बहू न आ जाये गोरी चमड़ी वाली 
और बेगैरतों के समर्थन से देश फिर से ,
कुछ दशकों के लिए गुलाम ना हो जाए !
बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही गोरी काफी है

Wednesday, March 25, 2015

बलिदानी भगत सिंह :

देश में भगत सिंह से बड़ा कोई बलिदानी नहीं हुआ ! देश को आजाद कराने के लिए फांसी के फंदे पर झूलकर, अपने प्राणों की आहुति देकर पूरे देश में क्रान्ति के शोले भड़का दिए ! यदि वो ज्वाला ठंडी पड़ जाती तो शायद आजादी कुछ दशक आगे खिसक जाती ! जैसे हवन में घी की आहुति देकर अग्नि को प्रज्वल्लित रखते हैं वैसे ही भगत सिंह के प्राणों की आहुति थी क्रांति की ज्वाला में !

Monday, March 23, 2015

मूल स्वरुप

बदलते तो हम खुद हैं,
और दोष बताते हैं उसका
और तालमेल बैठाने की जद्दोजहद में वो 
इतना बदल चुका होता है कि,
अपने अस्तित्व को ही खो देता है,
फिर हम तलाशते हैं उसको
जिसे प्यार करते थे
मिल भी जाता है वो
लेकिन ये क्या ....
अब तो वो खुद को भी नहीं पहचानता !!
.
मॉरल ऑफ द स्टोरी :
------------------------
जो जैसा है उसे वैसा ही प्यार करो, स्वार्थ में अंधे होकर उसे अपने साँचे में ढालने कि कोशिश मत करो ! व्यक्ति कि खूबसूरती उसके मूल-स्वरुप में ही होती है !

Thursday, March 19, 2015

शायराना दिव्या

ना है तुमने ठगा हमको
ना है हमने ठगा तुमको
ये तो एक रस्म रिश्तों की
जो है करना पड़ा हमको
और अब सहना पड़ा तुमको

अरे बस दो कदम चलकर
तो लोग डगमगाते हैं ..
कदम आगे बढ़ाते हैं
तो फिर से लड़खड़ाते हैं

तुम्हें क्यों दोष दूँ बंधू
तुम्हीं तो साथ आये हो
करूँ क्यों याद अब उसको
जो पीछे छोड़ आये हो ..

चलो बढ़ जाओ तुम आगे
न अब तुमको मैं रोकूंगी
सफर लंबा, बहुत बाक़ी
ना पीछे तुम कहीं मुड़ना
ना बढ़ के , राह रोकूंगी
ना अब आवाज़ मैं दूँगी ..

जो लम्हे साथ थे गुज़रे
उन्हें अब भूल जाना तुम
न मुझको याद करना तुम
न मुझको याद आना तुम ...

Divya [Zeal]

Wednesday, March 11, 2015

बवासीर


कैसा भी बवासीर हो--
* 15 ग्राम काले तिल पिसकर, 10-15 ग्राम मख्खन
के साथ मिलाकर सुबह सुबह खा लो ।
कैसा भी बवासीर हो मिट जाता है ।
* जिनको बवासीर है, शौच वाली जगह से
जिनको खून आता है, वे २ नींबू का रस निकालकर,
छान लें और एनिमा के साधन से शौच वाली जगह
से एनिमा द्वारा नींबू का रस लें और १० मिनट
सिकोड़ कर सोये रहें । इतने में वो नींबू गर्मी खींच
लेगा और शौच होगा । हफ्ते में ३-४ बार
करें.......कैसा भी बवासीर हो.........
नीम के पके हुए फल को छाया में सुखाकर इसके फल
का चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण सुबह जल के साथ
खाने से बवासीर रोग ठीक होता है।
लगभग 50 मिलीलीटर नीम का तेल,
कच्ची फिटकरी 3 ग्राम, चौकिया सुहागा 3
ग्राम को बारीक पीस लें। शौच के बाद इस लेप
को उंगली से गुदा के भीतर तक लगाने से कुछ
ही दिनों में बवासीर के मस्से मिट जाते हैं।
नीम के बीज, बकायन की सूखी गिरी,
छोटी हरड़, शुद्ध रसौत 50-50 ग्राम, घी में
भूनी हींग 30 ग्राम को बारीक पीसकर चूर्ण
बनाकर उसमें 50 ग्राम बीज निकली हुई
मुनक्का को घोंटकर छोटी-
छोटी गोलियां बना लें, 1 से 4 गोली को दिन में
2 बार बकरी के दूध के साथ या ताजे लेने से
बवासीर में लाभ मिलता हैं, और खूनी बवासीर में
खून का गिरना बन्द हो जाता है।
नीम की गिरी का तेल 2-5 बूंद तक शक्कर (चीनी)
के साथ खाने से या कैप्सूल में भर कर निगलने से लाभ
मिलता है। इसके सेवन के समय केवल दूध और भात
का प्रयोग करें।
नीम के बीज की गिरी, एलुआ और रसौत
को बराबर भाग में कूटकर
झड़बेरी जैसी गोंलियां बनाकर रोजाना सुबह
1-1 गोली नीम के रस के साथ बवासीर में लेने से
आराम मिलता है।
नीम के बीजों की गिरी 100 ग्राम और नीम के
पेड़ की छाल 200 ग्राम को पीसकर 1-1 ग्राम
की गोलियां बनाकर 4-4 गोली दिन में 4 बार 7
दिन तक खिलाने से तथा नीम के काढ़े से
मस्सों को धोने से या नीम के
पत्तों की लुगदी को मस्सों पर बांधने से लाभ
मिलता है।
100 ग्राम सूखी नीम की निबौली 50
मिलीलीटर तिल के तेल में तलकर पीस लें,
बाकी बचे तेल में 6 ग्राम मोम, 1 ग्राम फूला हुआ
नीला थोथा मिलाकर मलहम या लेप बनाकर
दिन में 2 से 3 बार मस्सों पर लगाने से मस्सें दूर
हो जातें हैं।
फिटकरी का फूला 2 ग्राम और सोना गेरू 3
ग्राम, नीम के बीज की गिरी 20 ग्राम में
घी या मक्खन मिलाकर या गिरी का तेल
मिलाकर घोट लें, इसे मस्सों पर लगाने से दर्द तुरन्त
दूर होता हैं और खून का बहना बन्द होता है।
50 ग्राम कपूर, नीम के बीज की गिरी 50 ग्राम
को दोनों का तेल निकालकर थोड़ी-
सी मात्रा में मस्सों पर लगाने से मस्सें सूखने लगते
हैं।
नीम की गिरी, रसौत, कपूर व सोना गेरू
को पानी पीसकर लेप करें या इस लेप को एरण्ड के
तेल में घोंटकर मलहम (लेप) करने से मस्से सूख जाते हैं।
नीम के पेड़ की 21 पत्तियों को भिगोई हुई मूंग
की दाल के साथ पीसकर, बिना मसाला डालें,
घी में पकाकर 21 दिन तक खाने से और खाने में छाछ
और अधिक भूख लगने पर भात खाने से बवासीर में
लाभ हो जाता है। ध्यान रहे कि नमक का सेवन
बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
नीम के बीजों को तेल में तलकर, उसी में खूब
बारीक पीस लें। इसके बाद फुलाया हुआ
तूतिया डालकर मस्सों पर लेप करना चाहिए।
पकी नीम की निबौंली के रस में 6 ग्राम गुड़
को मिलाकर रोजाना सुबह सात दिन तक खाने
से बवासीर नष्ट हो जाता है।


Rajiv Dixit

Sunday, March 8, 2015

रिश्तों का ग्राफ :




रिश्तों का ग्राफ, 

शून्य से शुरू कर

चरम पे पहुंचकर 

कुछ पल ठहर कर
 
ढलान पे ढलक कर
 
शून्य पर उतरकर 

अपनी प्राकृतिक मौत मर जाता है ..

Zeal

Monday, March 2, 2015

"अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम "

जब एक व्यक्ति गुलाम मानसिकता का शिकार हो जाता है तब वो सत्य और षड्यंत्र का भेद नहीं कर पाता! हमारे देश की गुलाम मानसिकता ने ही ईसाईयों के षड्यंत्र का शिकार होकर मदर टेरेसा को 'संत' का दर्जा दे दिया जबकि सच्चे अर्थों में कुष्ठ रोगियों की सेवा करने वाली संस्था "अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम " का कोई प्रचार नहीं करती हमारा मीडिया ! जनता अनभिज्ञ रहती है और भ्रमित होकर षड्यंत्रों का शिकार होती है और ये ईसाई मिशनरियां हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन करने में सफल हो जाती हैं ! आईये जानें वाराणसी के पास अवधूत कुष्ठ सेवा संस्थान के बारे में ! इस संस्था ने निस्वार्थ भाव से लाखों कुष्ठ रोगियों की सेवा और चिकित्सा करके उन्हें पूर्ण रूप से स्वस्थ किया है ! उत्तर प्रदेश में अनेक स्थानों पर इनके आश्रम हैं ! सर्वाधिक और लाखों की संख्या में इस संस्था से स्वास्थ्य लाभ करने के कारण इस संस्था का नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में भी दर्ज है ! ये संस्था केवल निस्वार्थ भाव से सेवा करती है , किसी के धर्म परिवर्तन की शर्त नहीं रखती ! ऐसे सच्चे सेवक केवल हिन्दू ही होते हैं और केवल भारत की मिटटी में ही जन्म लेते हैं !

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